Sunday, 13 May 2018

सोते समय हमारी आत्मा दूसरे संसार में होती है ?



आज हम आपके सामने एक  कहानी लेकर आए हैं
जो कि यह दर्शाती है कि हम सोते समय किसी दूसरी दुनिया में होते हैं!

एक गांव में दो दोस्त होते  है! वह दोनों कुछ कमाने के मकसद से घर
को छोड़ आए थे परंतु उन दोनों लड़कों को कोई काम नहीं आता था!
वह चलते-चलते थक गए तो उन्होंने यह निर्णय लिया कि यहीं पर कुछ
देर विश्राम करते हैं! उनमें से एक लड़का सो गया और दूसरा लड़का जग रहा था!

जो की चिंता में डूबा था कि क्या करेंगे क्या हमें
कोई काम मिलेगा कि नहीं यह सोच ही रहा था
कि उसने देखा कि उसने जिस कटोरे में पानी लिया है
उस कटोरे पर एक तिल्ली गिर गई उसने उस
पर कोई ध्यान नहीं दिया और कुछ समय पश्चात उसने देखा
कि उसका जो मित्र सो रहा था उसके मुंह से एक
मधुमक्खी निकले और वह उस कटोरे पर जाकर बैठ
गए ऐसा लग रहा था मक्खी को प्यास लगी वह जैसे ही
 उसमें पानी पीने को झुकी तू  वह पानी में गिर गई
 और मक्खी ने उस  डंडी का सहारा लेते हुए उस कटोरे
के दूसरे  तरफ पहुंच कर वहां से उड़कर  वह एक
दीवाल में एक छेद में घुस गई छेद में उस मक्खी
ने देखा कि वहां पर एक सोने के सिक्कों से भरा
घड़ा रखा है मक्खी ने उसे उठाने का प्रयास किया
पर वह नहीं उठा पाए और वह वहां से उड़कर दोबारा
उस कटोरे पर बैठे  और डंडे के सहारे वह
दूसरे किनारे पर आ गई  और पुणे  वह मक्खी उसके दोस्त
के मुंह में घुस ले यह घटना वह जग रहा दोस्त देख रहा था
जैसे ही यह मक्खी उसके मुंह में घुसी वह जगह जैसे
ही वह जगह उसका मित्र उससे बोलता है कि अपना मुंह
खोलो वह कहता है पर क्यों बोलता है तुम्हारे मुंह में
मक्खी है उसने मुंह खोलकर दिखाएं तो उसके मुंह में
कुछ नहीं था यह क्या पागलपंती है नहीं मैंने अपनी
आंखों से देखा था वह बैठ गया अपनी अपनी जगह
पर जो मित्र सो रहा था उसने अपने जगे हुए मित्र से कहा
कि मैंने एक सपना देखा है कि मैं बहुत लंबा सफर करके
एक पीतल की नदी के पास पहुंचा उस पर लकड़ी का पुल था
और मुझे प्यास लगी थी मैं  पानी पीने को जैसे ही झोका
तो मैं पानी में डूब गया फिर मैं तैर कर बाहर निकला और
उस लकड़ी के  पुल  को पार किया फिर मैं कुछ देर चला
तो मुझे सामने एक पहाड़ नजर आया उस पहाड़ पर
चढ़ा और एक गुफा में घुस गए तो मैंने देखा कि वहां पर
खजाना रखा है पर मैं उसे उठा नहीं पा रहा था मैंने
बहुत प्रयत्न किया फिर भी मैं नहीं उठा पाया फिर मैं वहां से वापस लौट आया


यह उसके मित्र को सुनकर बहुत अचंभा  हुआ उसने कहा
यह सब तो वह मक्खी भी कर रही थी जो तुम्हारे मुख
से निकली तुम्हारे मुंह से निकलने के बाद इस कटोरे पर बैठी
और पानी पीने को झुकी तो वह डूब गए फिर उसने
डंडे का सहारा लेते हुए इस कटोरे से दूसरे किनारे पर
आ गई फिर दीवाल के छेद में घुस गए उसके मित्र ने
उस दीवाल के छेद को खुदा तो उसे वहां एक मटके में
सोने के सिक्के मिले और वह उन्हें लेकर आपस में बांट कर अपने
अपने घर को चले गए!

अतः इस  कहानी से हमें  स्पष्ट होता है कि  जब हम सो
रहे होते हैं तो हम एक अपरिचित दुनिया में होते हैं
इस दुनिया में हम सो रहे होते हैं और उस दुनिया में  हम जग रहे होते हैं!

" हमें आशा है कि आपको यह  कहानी पसंद आई हो गई हमारी आप से विनती है इस कविता को लाइक करना और शेयर करना ना भूलें"

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