क्या रविवार को तुलसी की पूजा करनी चाहिए या नहीं ?
इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि तुलसी की पूजा
रविवार को करनी चाहिए या नहीं और क्या रविवार को लगानी
चाहिए या नहीं ओरिया रविवार को छूना भी चाहिए या नहीं!
वृंदा तुलसी का नाम वृंदा है वृंदा को तुलसी नाम तुलसीदास
ने दिया है क्योंकि उन्होंने वृंदा की लकड़ी से रामायण लिखी थी!
शंख चूर्ण जोकि वृंदा के पति हैं और वृंदा जो थी वह विष्णु
की बहुत बड़ी भक्त थी! शंखचूड़ एक राक्षस था
शंखचूड़ को कोई हरा नहीं पाता था क्योंकि वृंदा थी वह एक
पतिव्रता नारी थी शंख चूर्ण को मारने के लिए नारायण ने
वृंदा के साथ छल किया ताकि शंखचूड़ को मारा जा सके वृंदा
के पति व्रता के कारण शंखचूड़ को मारना नामुमकिन था तो
पहले वृंदा का पतिव्रता भंग करना था जोकि नारायण ने किया
जब नारायण ने वृंदा का पतिव्रता भंग किया तब जाकर
जब नारायण ने वृंदा का पतिव्रता भंग किया तब जाकर
शंखचूड़ को महाराजा सका और जिस दिन शंखचूड़ मारा
गया वह दिन था रविवार का इसलिए कहा जाता है
कि तुलसी रविवार के दिन शोक में रहती हैं इसलिए उन्हें रविवार
के दिन नहीं पूजा जाता है नहीं छुआ जाता है और ना ही
लगाया जाता है हमें आशा है कि आप समझ गए होंगे कि रविवार
के दिन तुलसी को क्यों नहीं पूजा जाता है और क्यों नहीं लगाया
जाता है और क्यों नहीं छुआ जाता है
"यह जानकारी हमें श्रीमती प्रतिमा शर्मा जी ने दी है जो कि रामायण के ज्ञानी, महाभारत के ज्ञानी और गीता की ज्ञानी है"
"यह जानकारी हमें श्रीमती प्रतिमा शर्मा जी ने दी है जो कि रामायण के ज्ञानी, महाभारत के ज्ञानी और गीता की ज्ञानी है"
" यदि आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे लाइक करना शेयर करना ना भूले और सबस्क्राइब करना भी ना भूलें"
No comments:
Post a Comment