Tuesday 6 February 2018

उनको भी मीठी नींदों की करवट याद रही होगी

हिंदुस्तानी फौजी



उनको भी मीठी नींदों की करवट याद रही होगी!
खुशबू में डूबी यादों के सलवट याद आ रही होगी!


उनकी आंखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैं!
जब मेहंदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे हैं!

गीली मेहंदी रोई होगी चुपके घर के कोने में!
ताजा काजल छूट होगा चुपके चुपके रोने में!

जब बेटे की अर्थी आई होगी सोने आंगन में!
शायद  दूध उतर आया होगा बोरिंग मां के दामन में!

वह विधवा पूरी दुनिया का भोजासर ले सकती है!
जो अपने पति की अर्थी को भी कंधा दे सकती है!

मैं ऐसे हर देवी के चरणों में शीश झुकाता हूं!

इसीलिए मैं कविता को हथियार बनाकर गाता हूं!


"यह कविता हरिओम पवार द्वारा लिखी गई है जो कि फौजी पर आधारित है
अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे लाइक करना और शेयर करना ना भूले"




और पढो

No comments:

Post a Comment